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पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
निश्चय प्रेम प्रतीतिहिं ते,विनय करे सह मान, तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करैं हनुमान।
जन कल्याणार्थ एवं अपने मनोरथ की सिद्धि हेतु
(श्री हनुमज्जयंती समारोह समिति)
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